Thursday, October 13, 2011

'Neem School' kaa aaj daswaan din! ek achievement kaa ehsaas

मेरा 'नीम स्कूल' 

एक, दो, तीन, चार, पांच, छेह, सात , आठ , नौ, और आज पूरे दस दिन!
आज मेरे 'नीम स्कूल' का दसवां दिन..
एक प्यारी सी ख़ुशी मिली !

एक एक सीढ़ी करके ऊपर चढना अच्छा लग रहा है..:)

पहले तो मैं अकेले ही उन ३५ तो कभी ४५ बच्चों को कुछ सिखानेकी कोशिश में लगी रहती..
कुछ personal  hygeine ...जैसे
हाथ कैसे धोया जाए ...कुल्ला कैसे और कब करना है, दातून कैसे करनी है वगैरा वगैरा...
कुछ essential  agreements एक अच्छा नागरिक बनने के लिए...
कौन सा कचरा कहाँ डालना है...हरे अब्बे में कि नीले डब्बे में..और भी कुछ कुछ...

कुछ गाने और डांस के द्वारा वोह a  b  c  d  और एक दो तीन चार...

पर आज तो मज़ा ही आ gaya
notice  तो मैंने लगायी थी...लेकिन वोह suddenली दो प्यारे से young  doctors 'dentists ..आ गए..
हमारे बच्चों को चेक करने ...उन्होंने एक डेंटल कैंप लगा दिया हमारे 'नीम स्कूल' के लिए... 
 
बहुत ही निर्मल सी ख़ुशी मिली !

एक प्राइवेट हॉस्पिटल के interns हमारे बाल गोपालों को बड़े प्यार से चेक कर रह थे...
अब वोह उनको ट्रेनिंग भी देंगे दांतों की देख रेख के लिए..! 
 
अब तो आस पास के ओफ्फिसर्स और उनकी wives   
फिर और IAS ओफ्फिसर्स की wives  ने इच्छा ज़ाहिर की..हमारे 'नीम स्कूल' में पढाने की.....

और फिर हम एक से दो..दो से तीन..तीन से चार हो गए...!

एक क्लास छोटे बच्चों की, एक बड़े बच्चों की...और एक तो कोअचिंग फॉर स्कूल going चिल्ड्रेन भी शुरू हो गयी..!
वोह अपनी मजदूरी में से, ७०० /- दे रहे थे tuition  के लिए...एक बच्चे के..
तो वोह एवेनिंग में  उनके स्कूल के बाद कोअचिंग से वोह अब पढ़ पायेंगे और ७००/- भी बचेंगे..

वोह जब भी मुझे देख लेते हैं पार्किंग में कार से उतारते हुए..बस भाग कर आ जाते हैं..
क्योंकि हमारा नीम स्कूल तो हमारी स्टिल्ट पार्किंग में ही चलता है! 
बस हमारे स्कूल में  'नीम' की ही सीलिंग है...

इतना चाव तो मैंने अपने बच्चों में भी नहीं देखा पढने का...जो की दोनों IITians  हैं उस मालिक की कृपा से !
बस उसी की ही दया है...जो बच्चों की आखों में वोह trust और प्यार देखा क़ि मैं सारी की सारी दुनिया को ही भूल गयी...
...शायद नियति और रास्ते दिखाती है हमें अपने उस मालिक के रास्ते पर चलने के...!
शायद मेरी भी ख़ुशी इसी में ही हो...? क्योंकि मालिक भी तो इस रास्ते से खुश होता है...!!

डॉ. अंजलि निगम

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